Saturday, November 26, 2016

Solah Singar gender neutral poem

लिंग निरपेक्ष सोलह सिंगार - कविता

कई महीने पहिले हमने साज सिंगार पर एक कविता लिखी थी। पर वह पारंपरिक बखान और ब्यौरों को लेते हुए भी, थोड़ी - बहुत अपनी कल्पना से ही बनी थी। और अब, हम ख़ुशी से प्रस्तुत करते हैं, पारंपरिक सोलह सिंगार के बूते लिखी हुई एक कविता। इसमें तुक बाँधने पर काफ़ी मेहनत लगी है!

पर पारंपरिक सोलह सिंगार महिलाओं को लेकर है जबकि हमने उसपर कविता लिखकर भी किसी भी लिंग के मनुष्य को बखान समर्पित किया है, क्योंकि समाज के सबसे घिनौने लिंग भेद का विरोध ही होना चाहिए और जिसे जो चाहिए लिंग से निरपेक्ष होकर उसे बेझिझक कर पाना चाहिए।

Tuesday, November 22, 2016

Different Abhisarika Nayika - 2 metres

अभिसारिका नायिका 

- दो छंदों/लयों में एक ही कविता पर परंपरा से कुछ अलग 

हमने कई दिन पहिले एक छंद या लय में अभिसारिका नायिका, अर्थात पिया मिलन के लिए जानेवाली नायिका पर एक कविता लिखी थी, पर परंपरा से कुछ अलग। उससे कुछ दिन पीछे उसी विषय पर अलग ही लय में कुछ पद सूझे, उसी की उमंग में एकाध दिन पीछे हम पूरी कविता लिख बैठे। दोनों मीठी ब्रज भाषा में है।